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फिल्म केजीएफ रिव्यू: शानदार कहानी लेकिन बेकार एक्जीक्यूशन, फिल्म देखने से पहले पढ़ें ये खबर

फिल्म केजीएफ एक पीरियड ड्रामा फिल्म है, जिसकी शुरुआत 1970 में होती है। फिल्म की कहानी एक आनथ बच्चे के ऊपर आधारित हैस जो बड़ा होकर डॉन बनता है और पूरे संसार में अपनी जगह बनाने का प्रयास करता है।

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साउथ इंडस्ट्री में बाहुबली और 2.0 जैसी बड़ी बजट फिल्म बनने के बाद बॉलीवुड की कई मशहूर हस्तियों ने भी साउथ सिनेमा से रिश्ता जोड़ लिया। करण जौहर की धर्मा प्रोडक्शन ने कुछ दिनों पहले रिलीज हुई 2.0 को हिंदी में वितरित करने का जिम्मा लिया। एक बार फिर से धर्मा प्रोडक्शन ने साउथ सिनेमा की फिल्म केजीएफ से हाथ मिलाया। फिल्म केजीएफ आज 21 दिसंबर के दिन रिलीज हो चुकी है।




फिल्म की कहानी तो अच्छी है। लेकिन फिल्म के डायरेक्टर फिल्म के एक्सीक्यूशन में मात खा गए। फिल्म केजीएफ एक पीरियड ड्रामा फिल्म है, जिसकी शुरुआत 1970 में होती है। फिल्म की कहानी एक आनथ बच्चे के ऊपर आधारित हैस जो बड़ा होकर डॉन बनता है और पूरे संसार में अपनी जगह बनाने का प्रयास करता है। इस निर्दयी दुनिया में अनाथ बच्चे को सफलता दिलाने में उसकी मां की शिक्षा मदद करती है।


1981 में देश के प्रधानमंत्री ने यह घोषणा की कि सभी अपराधियों को पकड़ लिया जाए तब से इस फिल्म की शुरुआत होती है। इसके तुरंत बाद ही फिल्म के नायक यानी कि यश का आगमन होता है। सरकार द्वारा यश पर लिखी गई किताब को बैन कर दिया जाता है। लेकिन कैसे भी करके एक किताब बच जाती है।


किताब के लेखक अपराधी की कहानी बताना शुरू करते हैं। रामकृष्ण कर्नाटक से मुंबई पहुंच जाता है और वहां पर शू पॉलिश करके अपना जीवन यापन व्यतीत करता है। लेकिन वह देखते ही देखते मुंबई का मशहूर अंडरवर्ल्ड डॉन रॉकी के नाम से मशहूर हो जाता है। कृष्णा पूरी मुंबई को अपने कब्जे में करने के लिए वापस पर कर्नाटक जाता है। वहां जाकर वह कोलार गोल्ड फील्ड के कुछ लोगों का सफाया करता है। कृष्णा के साथ इस दौरान 20000 लोगों की फौज खड़ी होती है।



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