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'तुम्हारा चेहरा हीरो जैसा नहीं है' हीरो बनने आए अमरीश पुरी यह बात सुनकर हो गए थे निराश, फिर हुआ कुछ ऐसा.....

Amrish Puri

बॉलीवुड के मशहूर विलेन अमरीश पुरी का 22 जून को जन्मदिन होता है. अमरीश पुरी ने विलेन ही नहीं हर तरह के किरदार बखूबी निभाए. उनके जैसा विलेन का किरदार शायद ही कोई निभा पाए. अमरीश पुरी बॉलीवुड में हीरो बनने आए थे, विलन बनने नहीं.

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अमरीश पुरी के बेटे राजीव पुरी ने एक इंटरव्यू में बताया था कि उनके पापा जवानी के दिनों में हीरो बनने मुंबई पहुंचे. उनके बड़े भाई मदन पुरी पहले से ही फिल्मों में थे. लेकिन निर्माताओं ने उनसे कहा कि तुम्हारा चेहरा हीरो जैसा नहीं है. इस वजह से वह काफी निराश हो गए थे. फिर उन्होंने थिएटर में अभिनय करना शुरू कर दिया और लोकप्रियता हासिल की.

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इसके बाद उन्हें 1970 में फिल्मों में काम करने का मौका मिला. अमरीश पुरी ने 70 के दशक में निशांत, मंथन, आक्रोश जैसी कई फिल्मों में काम किया. 80 के दशक में उन्होंने खलनायक के किरदार में फिल्म हम पांच, नसीब, विधाता, अंधा कानून, हीरो जैसी फिल्मों में अपनी छाप छोड़ी. फिल्म मिस्टर इंडिया में उनके द्वारा निभाया गया मोगैंबो का किरदार हमेशा के लिए अमर हो गया.

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राजीव पुरी ने बताया कि उनके पिता अमरीश पुरी असल जिंदगी में अनुशासन में रहना पसंद करते थे. अमरीश पुरी को अपने पोते-पोतियों से बहुत लगाव था. वह उनके साथ अक्सर खेला करते थे. वह अपने रिश्तेदारों और दोस्तों के सामने हमेशा विनम्र रहते थे.

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बॉलीवुड में विलेन के किरदार से लोकप्रियता पाने वाले अभिनेता अमरीश पुरी का 22 जून को जन्मदिन होता है. भले ही अब वह हमारे बीच ना हो, लेकिन उनके द्वारा निभाए गए किरदार हमेशा के लिए अमर हो गए. अमरीश पुरी ने विलेन के रूप में जो लोकप्रियता हासिल की, वह हीरो भी नहीं कर पाते हैं.

Amrish Puri,

अमरीश पुरी द्वारा फिल्म शहंशाह में बोला गया डायलॉग- टिप बाद में देना तो एक रिवाज है, पहले देना अच्छी सर्विस की गारंटी होती है, बहुत ज्यादा पसंद किया गया था.

अमरीश पुरी का फिल्म करण अर्जुन में बोला गया डायलॉग- मैं तो समझता था कि दुनिया में मुझसे बड़ा कमीना कोई और नहीं. लेकिन तुमने ऐन मौके पर कमीनापन दिखाया कि हम तुम्हारे कमीनेपन के गुलाम हो गए.

Amrish Puri,

फिल्म ऐतराज़ में अमरीश पुरी ने एक डायलॉग बोला था जो बहुत ज्यादा पसंद किया गया. डायलॉग था- आदमी के पास दिमाग हो तो अपना दर्द भी बेच सकता है.

फिल्म मिस्टर इंडिया का फेमस डायलॉग मोगैंबो खुश हुआ बच्चे आज भी बोलते रहते हैं.

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अमरीश पुरी ने फिल्म दामिनी में एक डायलॉग बोला था- यह अदालत है कोई मंदिर या दरगाह नहीं, जहां मन्नतें और मुरादे पूरी होती हैं, यहां धूपबत्ती और नारियल नहीं बल्कि ठोस सबूत और गवाह पेश किए जाते हैं.

फिल्म फूल और कांटे में अमरीश पुरी ने एक डायलॉग बोला था- अपनी प्यारी चीज पर जब चोट का एहसास हो तो दिल में दर्द जाग उठता है, बहुत फेमस हुआ.