सुरों की मल्लिका आशा भोसले ने अपनी मधुर आवाज से लोगों के दिलों पर राज किया। आशा भोसले ने महज 10 साल की उम्र से ही गाना शुरू कर दिया था। उनके पिता दीनानाथ मंगेशकर मशहूर थिएटर एक्टर और क्लासिकल सिंगर थे। जब आशा भोंसले 9 साल की हुई तो उनके पिता का निधन हो गया। इसके बाद उन्होंने अपनी बड़ी बहन लता मंगेशकर के साथ मिलकर गाना गाना और एक्टिंग करना शुरू कर दिया। दोनों बहने अपने परिवार का खर्च चलाती थी।
आशा भोसले ने पहला गाना 'चला चला नव बाला' 1943 में मराठी फिल्म माझा बल का गाया था। इसके बाद उन्होंने हिंदी फिल्म चुनरिया का गाना सावन आया गाया। आशा भोसले को कोई गाना तब ऑफर किया जाता था, जब उस जमाने की नामी सिंगर गीता दत्त, शमशाद बेगम और लता मंगेशकर में से कोई गाना छोड़ देता था। एक इंटरव्यू में आशा भोसले ने खुद बताया था कि एक गाने की रिकॉर्डिंग के दौरान वो लता दीदी पर जमकर चिल्लाई थी।
आशा भोसले को 16 साल की उम्र में लता मंगेशकर के एक अस्पताल के पर्सनल सेक्रेटरी गणपतराव से प्यार हो गया था, जिसके बाद उन्होंने शादी कर ली। लेकिन कुछ समय बाद ही गणपतराव उनको मारने-पीटने लगे। उन्हें परेशान करने लगे। इसके बाद जब वह बहुत परेशान हो गई तो 1960 में अपने बच्चों के साथ अपनी मां के घर आ गई। उस समय आशा प्रेग्नेंट थी। आशा जी के बड़े बेटे का नाम हेमंत था, जो अब इस दुनिया में नहीं है। वहीं उनकी बेटी वर्षा ने 2012 में सुसाइड कर लिया। आशा जी अपने छोटे बेटे आनंद भोसले के साथ रह रही हैं।

आशा जी ने अपनी मां के घर आने के बाद फिर से गाना गाया। इसी दौरान उनकी मुलाकात आरडी बर्मन से हुई। दोनों देखते-देखते नजदीक आ गए और फिर उन्होंने 1980 में शादी कर ली। आर डी बर्मन ने आखिरी सांस तक आशा भोसले का साथ निभाया। आशा जी के कई रेस्टोरेंट भी हैं। आशा जी को दादा साहब फाल्के पुरस्कार, दो बार नेशनल अवार्ड और पदम भूषण से भी सम्मानित किया गया है।
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