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'जोश' और 'आमदनी अठन्नी खर्चा रूपैया' वाले चंद्रचूड़ सिंह, जिनके एक एक्सीडेंट से लाइफ बदल गई

'जोश' और 'आमदनी अठन्नी खर्चा रूपैया' वाले चंद्रचूड़ सिंह, जिनके एक एक्सीडेंट से लाइफ बदल गई

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'जोश' और 'आमदनी अठन्नी खर्चा रूपैया' वाले चंद्रचूड़ सिंह, जिनके एक एक्सीडेंट से लाइफ बदल गई

साल 2000 में एक फिल्म आई थी ‘जोश’. इसमें शाहरुख खान और ऐश्वर्या राय भाई-बहन बने थे. और एश्वर्या को उस लड़के से प्यार था, जिसने उनके भाई के साथ रार ठान रखी थी. इस लड़के को लोग चंद्रचूड़ सिंह के नाम से जानते हैं. काफी समय हो गया. वो लंबे समय से हमारी नज़र से गायब हैं. दिखते नहीं हैं. पता नहीं कहां हैं, क्या कर रहे हैं. आज शुरू से उनकी कहानी जानेंगे और पता लगाएंगे कि आज कल चंद्रचूड़ सिंह कहां हैं.

ओडिशा की राजकुमारी के बेटे

चंद्रचूड़ 11 अक्टूबर, 1968 को जन्मे. मां ओडिशा के बालनगिर के महाराजा की बेटी थीं और पापा बलदेव सिंह यूपी में अलीगढ़ की खैरा सीट से सांसद थे. स्कूलिंग हुई देहरादून की मशहूर दून स्कूल से. कुछ विषयों में अच्छे थे, तो वहीं के बच्चों को हिस्ट्री और म्यूज़िक सिखाने लगे. चंद्रचूड़ की आगे की पढ़ाई डीयू के सेंट स्टीवंस कॉलेज से हुई. हीरो बनना चाहते थे इसलिए 1988 में मुंबई चले गए. शुरुआत की बतौर असिस्टेंट डायरेक्टर. फिल्म थी महेश भट्ट डायरेक्टेड ‘आवारगी’ (1990). साथ में एक्टिंग में भी ट्राय कर रहे थे. इस दौरान कई फिल्में मिलते-मिलते रह गईं. जैसे चंद्रचूड़ सिंह और सुचित्रा कृष्णमूर्ति को साथ में लेकर ‘जब प्यार किया तो डरना क्या’ नाम की एक फिल्म प्लान हो गई थी. लेकिन फाइनेंस की दिक्कतों की वजह से वो कभी बन ही नहीं पाई. ‘सौदागर’ और ‘बेख़ुदी’ जैसी फिल्मों से भी उन्हें लास्ट मिनट में रिप्लेस कर दिया गया.



अमिताभ बच्चन ने दिया पहला मौका

1996 में अमिताभ बच्चन अपने नए प्रोडक्शन हाउस एबीसीएल के तले पहली फिल्म बना रहे थे ‘तेरे मेरे सपने’. इसके लिए नए चेहरों की तलाश हो रही थी. टैलेंट हंट के कई राउंड पार करने के बाद चार लोगों को इस फिल्म के लिए चुना गया. ये लोग थे चंद्रचूड़ सिंह, अरशद वारसी, प्रिया गिल और सिमरन. हालांकि, सिमरन पहले से ही साउथ इंडियन फिल्मों एक्टिव थी. बहरहाल, फिल्म बनी और हिट रही. इसी फिल्म का गाना था ‘वो लड़की आंख मारे’, जिसे रणवीर सिंह की हालिया फिल्म ‘सिंबा’ में रीमिक्स किया गया है.

गुलज़ार ने बनाया स्टार

लॉन्च होने के साल ही चंद्रचूड़ को गुलज़ार की फिल्म ‘माचिस’ में काम करने का मौका मिला. जितना इस फिल्म को पसंद किया गया, उतना ही चंद्रचूड़ के काम को. करियर की दूसरी फिल्म ‘माचिस’ में काम के लिए उन्हें फिल्मफेयर का बेस्ट डेब्यू अवॉर्ड मिला. उसके बाद बढ़िया काम मिलने लगा. आने वाले समय में उन्होंने ‘बेताबी’ (1997), ‘श्याम घनश्याम’ (1998) और ‘दिल क्या करे’ (1999) जैसी फिल्मों में काम किया, जो बॉक्स ऑफिस पर परफॉर्म नहीं कर पाईं. चंद्रचूड़ सिंह के बारे में ये कहा जाता रहा है कि वो अपने बूते कभी कोई फिल्म हिट नहीं करा पाए. उनकी जितनी भी हिट फिल्में हैं, सभी मल्टी-स्टारर रही हैं. 1999 में उनकी ‘दाग- द फायर’ रिलीज़ हुई. इसमें चंद्रचूड़, संजय दत्त के साथ दिखाई दिए थे. फिल्म खूब चली. लेकिन जिस फिल्म ने उन्हें स्टारडम दी, वो थी 2000 में आई शाहरुख खान और ऐश्वर्या राय स्टारर ‘जोश’. फिल्म बहुत पसंद की गई और चंद्रचूड़ सिंह को चॉकलेट बॉय का टैग मिल गया. फिर आई ‘क्या कहना’, जिसे गैर-पारंपरिक मानते हुए भी पसंद किया गया. 2001 में ‘आमदनी अठन्नी खर्चा रुपैया’ लगी. फिल्म सिनेमाघरों में तो कुछ खास नहीं चली लेकिन घरों में टीवी पर खूब चली.


फिल्में छोड़ कुकरी शो होस्ट बन गए

इस फिल्म के बाद से ही चंद्रचूड़ का करियर ढलान पर आ गया. वो साल में इक्की-दुक्की फिल्म में नज़र आते, जो पिट जातीं. 2006 में वो एक बार फिर से ‘दाग’ वाली हिट टीम संजय दत्त और महिमा चौधरी के साथ फिल्म ‘सरहद पार’ से बड़े परदे पर लौटे लेकिन फिल्म कुछ खास कर नहीं पाई. पांच साल गायब रहे. 2011 में वापसी की एक ओडिया फिल्म से. टीवी पर एक कुकरी शो भी होस्ट किया. पिछले आठ साल में ‘चार दिन की चांदनी’ (2012), ‘ज़िला गाज़ियाबाद’ (2013), ‘द रिलक्टेंट फंडामेंटलिस्ट’ (कैमियो), ‘आ गया हीरो’ (2017) जैसी फिल्मों में भी काम किया. लेकिन ऐसे कि ज्यादा नोटिस में नहीं आए.

फिल्मों से दूर क्यों हो गए?

‘जोश’ और ‘क्या कहना’ की रिलीज़ के बाद छुट्टियां मनाने चंद्रचूड़ गोवा गए थे. वहां वॉटर स्कीइंग (Skiing) के दौरान उनका एक्सीडेंट हो गया. इसमें उनके कंधे का जॉइंट डिसलोकेट हो गया था. इससे उनका वर्कआउट बंद हो गया और वजन बढ़ने लगा. चंद्रचूड़ मानते हैं कि बढ़े हुए वजन के बाद उन्हें फिल्मों में काम मिलना बंद हो गया. बावजूद इसके वो छोटी-मोटी फिल्मों में नज़र आते रहते थे.
फिल्म ‘दाग- द फायर’ के एक सीन में चंद्रचूड़ सिंह. इस फिल्म में उनके साथ महिमा चौधरी और संजय दत्त ने भी काम किया था.

चर्चा में रहने की वजह

2017 में चंद्रचूड़ दिल्ली निकाय चुनावों के दौरान काफी एक्टिव हो गए थे. उन्होंने दिल्ली के हरिनगर इलाके से चुनाव लड़ रहीं नेहा चौकन के लिए दिल्ली की गलियों में घूम-घूमकर उनका प्रचार किया था. इससे ये भी अटकलें लगाई जाने लगी थीं कि चंद्रचूड़ सिनेमा छोड़कर पॉलिटिक्स में एंट्री करने वाले हैं. लेकिन ये खबरें हवा-हवाई साबित हुईं.
दिल्ली एमसीडी चुनाव में बीएसपी कैंडिडेट नेहा चौकन के प्रचार में हिस्सा लेते चंद्रचूड़ सिंह.

इन दिनों क्या कर रहे हैं?

2017 के आखिर में उनकी एक फिल्म रिलीज़ हुई थी. फिल्म का नाम था ‘यादवी- दी डिग्निफाइड प्रिंसेस’ जो अंग्रेज़ी भाषा में बनी थी. इसकी कहानी लिखी थी गौरी सिंह और फिल्म में काम किया चंद्रचूड़ सिंह ने. चंद्रचूड़ और गौरी भाई बहन हैं. चंद्रचूड़ एक्टर होने के अलावा एक ट्रेन्ड क्लासिकल सिंगर भी हैं. उन्होंने अपनी इस फिल्म में ‘रंगरेज़ा’ नाम का एक गाना भी गाया था. ये आखिरी बार था, जब चंद्रचूड़ यूं दिखे थे. 1999 में उन्होंने अवंतिका मनकोटिया से शादी कर ली. उनका श्रंजय नाम का एक बेटा है. आज कल चंद्रचूड़ सिंह अपने परिवार के साथ मुंबई में रहते हैं. आने वाले दिनों में सुष्मिता सेन के साथ राम माधवानी डायरेक्टेड वेब सीरीज़ ‘आर्या’ में नज़र आने वाले हैं.

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