महाराष्ट्र के पूर्व डीजीपी राकेश मारिया ने अपनी किताब लेट मी से इट नाउ में यह लिखा कि टी-सीरीज म्यूजिक कंपनी के मालिक गुलशन कुमार की मौत की साजिश के बारे में मुंबई पुलिस को पहले से ही खुफिया जानकारी थी कि किस गिरोह को यह काम सौंपा गया है और पुलिस ने उनकी रक्षा के लिए सब कुछ किया. लेकिन यूपी पुलिस के आने से सारा समीकरण बिगड़ गया.
राकेश मारिया ने बताया कि एक खबरी ने बताया था कि गुलशन कुमार का विकेट गिरने वाला है, जिस पर राकेश मारिया ने पूछा कि विकेट लेने वाला कौन है तो उसने अबू सलेम का नाम लिया था. अबू सलेम ने अपने शार्प शूटरों को गुलशन कुमार की सुपारी दी थी. गुलशन कुमार हर रोज सुबह मंदिर जाते थे, जहां पर उनकी मौत की तैयारी पहले ही की जा चुकी थी.
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मारिया ने बताया कि उन्होंने अगले दिन फिल्म निर्माता महेश भट्ट को फोन किया और पूछा कि क्या वह गुलशन कुमार को जानते हैं और क्या वह हर रोज सुबह शिव मंदिर जाते हैं. मारिया ने महेश भट्ट से कहा कि गुलशन कुमार से कह दो कि जब तक उनकी सुरक्षा का इंतजार नहीं हो जाता तब तक उन्हें कहीं नहीं जाना चाहिए.
कुछ समय बाद गुलशन कुमार को सुरक्षा प्रदान की गई. लेकिन 12 अगस्त 1997 को मारिया को पता चला कि गुलशन कुमार की हत्या हो गई है. इस बारे में राकेश मारिया ने लिखा है- यूपी पुलिस की एक टुकड़ी ने गुलशन कुमार को सुरक्षा प्रदान करना शुरू कर दिया था, क्योंकि उनका नोएडा में एक कैसेट कारखाना था. इसलिए मुंबई पुलिस द्वारा प्रदान की गई सुरक्षा उनसे वापस ले ली गई थी.
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