क्या आपको पता हैं ज्यादातर जीन्स को नीले रंग में ही क्यों रंगा जाता है?
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आजकल हर किसी के लिए जीन्स एक फैशन स्टेटमेंट है जो सालों से नहीं बल्कि सदियों से चला आ रहा है। 200 साल से भी पुराना इतिहास है जीन्स का और इसके स्टाइल में थोड़ा बहुत अंतर अगर छोड़ दिया जाए तो बाकी जीन्स वैसी ही है जैसे लिवाइस कंपनी ने शुरुआत में बनाई थी। इतने सालों में जीन्स में कई बेसिक अंतर देखे गए हैं, लेकिन इसका रंग अभी भी ब्लू ही होता है।
जीन्स रंगाई के लिए डाई को गर्म पानी या किसी और तकनीक से हाई टेम्प्रेचर का इस्तेमाल कर कपड़े पर इस्तेमाल किया जाता है। यही कारण है कि अधिकतर डाई हाई तापमान के साथ ही अपना काम करते हैं, लेकिन ब्लू डाई यानी इंडिगो डाई के साथ ऐसा नहीं था। ये नेचुरल डाई सिर्फ बाहरी धागों पर ही चिपकता है और इसके लिए उतने हाई तापमान की जरूरत भी नहीं होती है।
जीन्स को जितनी बार धोया जाता है थोड़ा-थोड़ा डाई निकलता है और जीन्स का कपड़ा अपने आप सॉफ्ट होता चला जाता है। क्योंकि केमिकल डाई के मुकाबले इंडिगो डाई सस्ता होता था।
अब भी जीन्स को रंगने के लिए ऐसा ही प्रोसेस इस्तेमाल होता है और जीन्स को फैशन स्टेटमेंट माना जाने लगा है। ब्लू जीन्स और उसके अलग-अलग शेड्स अब भी लोगों को बहुत पसंद हैं।
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