Mgid

Blog Archive

Search This Blog

Total Pageviews

‘दिल्‍ली क्राइम’ इसलिए विनर बनी क्‍योंकि उसमें गाली-गलौज और हिंसा नहीं थी, संजीदगी से सच को कलात्‍मक तरीके से रखा


<-- ADVERTISEMENT -->




‘निर्भया कांड’ पर बनी नेटफ्ल‍िक्‍स की भारतीय सीरिज ‘देल्‍ही क्राइम’ ने 48वें इंटरनेशनल एमी अवाड्र्स में ‘बेस्‍ट ड्रामा सीरिज’ का अवॉर्ड हासिल किया है। इसका कद ऑस्‍कर से कम नहीं। सीरिज से जुड़े कलाकारों ने इसकी जीत की वजहों और मेकिंग से जुड़े किस्‍से दैनिक भास्‍कर से शेयर किए हैं।

  • किस्‍सागोई में जॉर्ज बुश वाले ‘शॉक और ऑ’ ट्रीटमेंट नहीं : आदिल हुसैन

घिनौने अपराध को उसी नृशंस रूप में नहीं दिखाया। डायलॉगबाजी की चालाकी, अश्‍लीलता, खून की बौछार नहीं थी। वरना वेब सीरीज में वॉयलेंस, सेक्‍स का सहारा लिया ही जाता है। उससे ऑडिएंस को एंगेज रखना आसान है। हमारे शो ने इनका सहारा नहीं लिया। सच दिखाने के दो तरीके होते हैं। एक हूबहू। दूसरा कलात्‍मक तरीके से। 'निर्भया कांड’ और अपराधियों को पकड़ने की घटना 7 दिन की है। पर हमने दिखाया इसे सात घंटे में दिखाया। हमारा मकसद था पीड़ित के प्रति संवेदना और सम्‍मान प्रकट करना। एमी मिलने का कारण यही है।

घिनौनेपन को हूबहू दिखाने का दूसरा तरीका भी होता है। जैसा अनुराग कश्‍यप की फिल्‍मों में कहा जाता है। उसे मैं ‘शॉक एंड ऑ’ ट्रीटमेंट कहता हूं। कला घिनौनेपन से परे जाती है। आर्ट भी यकीनन सॉफ्ट पॉवर है। मगर उसका मकसद विश्‍लेषण को दिखाना है। इसके डायरेक्‍टर और सिनेमैटोग्राफर का काम डॉक्‍यूमेंट्री का एहसास दिलाता है। एक शॉट में बड़े-बड़े सीन फिल्‍माए गए हैं। वह सब आम दर्शकों को महसूस नहीं होता, मगर वह फोटोग्राफी सबको इंप्रेस कर गई। लिहाजा अवॉर्ड तो मिलना मुनासिब है। यह हैरत की बात नहीं है।

  • शो बनने के बाद नेटफ्ल‍िक्‍स वगैरह आया, जब इसे सनडैंस में जीत मिली थी : राजेश तैलंग

कहानी को बड़ी डेलिकेटली हैंडल किया गया है। अपराध का कहीं भी महिमामंडन नहीं है। उसकी गंभीरता कायम रही। हर पहलू को छूने की कोशिश की गई है। रिची ने राइटिंग और डायरेक्‍शन दोनों में इसका ख्‍याल रखा है। अपराध को मूल रूप में परोसने की जरूरत नहीं थीं। वह बेरहमी को समाज जानता है। हर बार समाज को आईना दिखाने की जरूरत नहीं। बात मुद्दे की करनी चाहिए। हूबहू दिखाने के लिए न्‍यूज मीडिया तो है ही। हम लोगों ने जब इसे बनाना शुरू किया था, तब तो यह इंडिपेंडेनटली बन रहा था। तब नेटफ्ल‍िक्‍स ने इसे नहीं खरीदा था।

बनने के बाद भी जब इसने ‘सनडैंस फिल्‍म फेस्टिवल’ में जीत हासिल की, तब नेटफ्ल‍िक्‍स बोर्ड पर आया। वरना पहले तो बस यही था कि रिची मेहता और हम सब एक चार-पांच साल के गहन रिसर्च वाले मैटेरियल पर काम कर रहे थे। वरना किसी को नहीं पता था कि कोई प्‍लेटफॉर्म आएगा भी। हमारे निर्माता अकीलियन, अपूर्वा,पूजा आ‍दि को भी ट्रस्‍ट था कि हम कुछ बना लेंगे। चाहे कोई खरीदे न खरीदे। यह करीबन वही था कि हम कुछ अच्‍छा बनाने चले हैं, यकीनन अच्‍छा ही होगा। आप ईमानदारी से कोई काम करें तो कहीं न कहीं पहुंचते जरूर हैं।

  • 15 से 20 दिन कैरेक्‍टर पर काम किया: मृदुल शर्मा (गुनहगार जयसिंह का रोल प्‍ले करने वाले)

जयसिंह नामक अपराधी की भूमिका निभाने के लिए उससे संबंधित सारे न्‍यूज को खंगाला। उसी बॉडी लैंग्‍वेज से लेकर वह कैसा डिसीजन लेता होगा से लेकर बाकी चीजों को बड़ी बारीकी से ऑब्‍जर्व किया। यह सब सोचते हुए 15 से 20 दिनों तक कैरेक्‍टर पर काम किया। शूट से संबंधित मेरा सबसे यादगार किस्‍सा इंटेरोगेशन सीन है। वह सीन पूरी तरह नाइट में शूट किया गया था। उसको लेकर मैं काफी नर्वस था। दूसरी बात यह कि वह सीन राजेश तैलंग और शेफाली शाह जी के सामने परफॉर्म कर रहा था। उसको लेकर मैं काफी नर्वस था। पर सीन जब फिल्‍माना शुरू हुआ तो सेट पर डायरेक्‍टर, क्रू मेंबर्स ने ऐसा माहौल क्रिएट किया कि वह काम आसान हो गया।

सीरीज और असल इवेंट में भी पुलिस असली हीरो हैं। बड़ी तत्‍परता से उन्‍होंने अपराधियों को ढूंढ निकाला था। असल जिंदगी में मैं भी कानूनी प्रक्रिया के तहत ही अपराधी को सजा देता। यह शो इसलिए विनर रहा कि इससे जुड़े सभी लोगों ने बड़ा पॉजिटिव माहौल दिया। इसके चलते सभी कलाकार और क्रू मेंबर्स अपना सौ फीसदी दिया। नतीजतन इसने इंडिया को ऑस्‍कर लेवल का अवॉर्ड दिया है।

  • रोल के लिए सिर्फ राइटिंग मैटेरियल था, 5 डिग्री टेम्प्रेचर में नेकेड शूट किया : संजय बिश्‍नोई (निर्भया के दोस्‍त की भूमिका में)

निर्भया के दोस्‍त का रोल निभाना बड़ा ट्रिकी था। किसी से मिलना अलाउड नहीं था। जो राइटिंग मैटेरियल था, उससे ही कैरेक्‍टर की स्किन में जाना था। देश की राजधानी में आप कहीं जा रहे हो। अचानक पांच लोग हमला करें ऐसा दर्दनाक हादसा हो जाए। फिर उस दिन के बाद से आप क्‍या सोचोगे, अपने बारे में। कैसे उसके माता-पिता को फेस करोगे। कैसे खुद को देखोगे। बहुत मुश्किल होता है, ऐसे माइंड स्‍टेट से निकल पाना। कैसे लोगों को डील किया। मैंने इस तरह के केसेज की स्टडी की। पता किया कि इंडिया में ये केसेज क्‍यों होते हैं। उन सबसे काफी हेल्‍प मिली।

शूटिंग का यादगार किस्‍सा पहला दिन था। पहला शॉट ही बोला गया कि नेकेड बॉडी सूट में शूटिंग करनी है। शूट वहीं रियल लोकेशन पर हुई, जहां बिना कपड़ों के निर्भया और उसके दोस्‍त को फेंका गया था। सिनेमैटोग्राफर ने कहा कि नेकेड बॉडी सूट बड़ा फेक लगेगा। लिहाजा नेकेड ही शूट किया जाए। तब ठंड तो बहुत थी। हम 16 जनवरी को शूट कर रहे थे। फिर भी खुद से ऊपर इस मुद्दे को रखा, जिस पर मुझे काम करने का मौका मिला था। नेकेड ही शूट किया फिर।



Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
दिल्ली क्राइम की स्टार कास्ट रहे आदिल हुसैन, संजय बिश्नोई, राजेश तैलंग और मृदुल शर्मा।

🔽 CLICK HERE TO DOWNLOAD 👇 🔽

Download Movie





<-- ADVERTISEMENT -->

AutoDesk

Entertainment

Post A Comment:

0 comments: