हमारे यहां हिंदू धर्म में किसी भी कार्य को करने से पहले प्रभु श्री गणेश की पूजा के साथ स्वास्तिक बनाया जाता है। स्वास्तिक में बनी चारों रेखाएं को लेकर व्यक्तियों की भिन्न-भिन्न अवधारणाएं बनी हैं। कुछ लोग मानते हैं कि स्वास्तिक में बनी चारों रेखाएं पूर्व, पश्चिम, उत्तर तथा दक्षिण की तरफ संकेत देती है।
स्वास्तिक की अहमियत:
वास्तु दोष से निजात पाने के लिए स्वास्तिक बनाया जाता है। क्योंकि इसकी चारों रेखाएं चारों दिशाओं के प्रतीक होती है। आप किसी भी तरह के वास्तु दोष को दूर करने के लिए घर के मुख्यद्वार पर स्वास्तिक बनाएं।
व्यवसाय में हो रहे घाटे को कम करने के लिए ईशान कोण में निरंतर 7 बृहस्पतिवार तक सूखी हल्दी से स्वास्तिक चिह्न बनाने से लाभ प्राप्त होता है।
घर को बुरी दृष्टि से बचाने के लिए काले रंग का सातिया लगाया जाता है। प्रथा है कि काल रंग के कोयले से बने स्वास्तिक से नकारात्मक शक्तियां दूर होती है।
यदि आप किसी कार्य में कामयाबी चाहते हैं तो घर के उत्तरी दिशा में सूखी हल्दी से स्वास्तिक का चिन्ह बनाएं।
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