सुहागिन औरतों के श्रृंगार में बिछिया भी अहम होती है। पैरों की उंगलियों में बिछिया क पहनते हैं। आप में से बहुत कम लोग बिछिया के पहनने का चलन कैसे बना इसके बारे में जानते होंगे। बिछिया सुहागिन औरतें ही क्यों पहनती है और इनके क्या लाभ जीवन में होते हैं। इन सबके फायदाें के बारे में आज हम आपको बताएंगे। बिछिया पहनने का चलन सनातन परंपरा में वैदिक युग से शुरु हुआ था जो अब तक चल रहा है। यही वजह है कि नवदुर्गा पूजा में जब माता का सोलत श्रृंगार चढ़ाते हैं तो उसमें से एक बिछियां भी होती हैं.....
1. वैज्ञानिक कारण भी बिछिया पहनने का होता है। ऐसा कहा जाता है कि स्वास्थ्य सुहागिन महिलाओं का बिछिया पहनने से अच्छा होता है। बिछिया के बारे में इस तरह से रामायण काल में बताया गया है।
2. शास्त्रों में बताया गया है कि बिछिया का महत्वपूर्ण स्थान भारतीय महाकाव्य रामायण में भी था। हालांकि जब सीता का अपहरण रावण ने किया था तो भगवान राम की पहचान के लिए उन्होंने अपनी बिछिया फेंक दी थी।
3. बिछिया पहनने का चलन पांव की बीच की तीन उंगलियों में है। महिलाओं के गर्भाशय और दिल से संबंध इस उंगली की नस रखती हैं। गर्भाशय और दिल से संबंधित बीमारियों की संभावनाएं पैर की उंगली में बिछिया पहनने से नहीं होती है।
4. सोने व चांदी की बिछिया होती है और अनुकूल प्रभाव इसके पैरों की उंगली में पहनने से होता है। शरीर को ऊर्जावान चांदी ध्रुवीय ऊर्जा बनाती है। साथ ही मन को भी बिछिया शांत रखती है।
5. शास्त्रों में बताया गया है कि महिलाओं का मासिक चक्र बिछिया पहनने से नियमित रहता है। एक्यू प्रेशर का काम बिछिया पांव की उंगलियों में करती है।
6. इससे तलवे से लेकर नाभि तक ही सारी मांस-पेशियों में रक्त संचार अच्छा रहता है। विज्ञान में कहा गया है कि महिलाओं की प्रजनन क्षमता को पांव में बिछिया बढ़ाता है। मर्म चिकित्सा के अंतर्गत आयुर्वेद में बिछिया को बताया है।
1. वैज्ञानिक कारण भी बिछिया पहनने का होता है। ऐसा कहा जाता है कि स्वास्थ्य सुहागिन महिलाओं का बिछिया पहनने से अच्छा होता है। बिछिया के बारे में इस तरह से रामायण काल में बताया गया है।
2. शास्त्रों में बताया गया है कि बिछिया का महत्वपूर्ण स्थान भारतीय महाकाव्य रामायण में भी था। हालांकि जब सीता का अपहरण रावण ने किया था तो भगवान राम की पहचान के लिए उन्होंने अपनी बिछिया फेंक दी थी।
3. बिछिया पहनने का चलन पांव की बीच की तीन उंगलियों में है। महिलाओं के गर्भाशय और दिल से संबंध इस उंगली की नस रखती हैं। गर्भाशय और दिल से संबंधित बीमारियों की संभावनाएं पैर की उंगली में बिछिया पहनने से नहीं होती है।
4. सोने व चांदी की बिछिया होती है और अनुकूल प्रभाव इसके पैरों की उंगली में पहनने से होता है। शरीर को ऊर्जावान चांदी ध्रुवीय ऊर्जा बनाती है। साथ ही मन को भी बिछिया शांत रखती है।
5. शास्त्रों में बताया गया है कि महिलाओं का मासिक चक्र बिछिया पहनने से नियमित रहता है। एक्यू प्रेशर का काम बिछिया पांव की उंगलियों में करती है।
6. इससे तलवे से लेकर नाभि तक ही सारी मांस-पेशियों में रक्त संचार अच्छा रहता है। विज्ञान में कहा गया है कि महिलाओं की प्रजनन क्षमता को पांव में बिछिया बढ़ाता है। मर्म चिकित्सा के अंतर्गत आयुर्वेद में बिछिया को बताया है।
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