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आचार्य चाणक्य के अनुसार स्त्री हो या पुरुष, बेशर्म होने पर ही मिलती है इन 3 कामों में सफलता!


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अर्थशास्त्र की रचना करने वाले आचार्य चाणक्य की महान नीतियों का पालन करने से व्यक्ति कभी भी गलत रास्ते पर नहीं जा सकता। जीवन में किसी भी तरह की परेशानी अथवा नुक्सान से बचना चाहते हैं तो उनकी नीतियों को जीवन में धारण करना चाहिए। स्त्री हो या पुरुष लाज-शर्म उनके व्यवहार का गहना माने गए हैं लेकिन जीवन में कुछ काम ऐसे होते हैं जिन्हें करने के लिए बेशर्म होना अनिर्वाय है अन्यथा स्वयं का नुक्सान होता है। इसी संदर्भ में आचार्य चाणक्य ने ऐसे तीन कार्यों के बारे में बताया गया है, जिनमें शर्म करना अच्छी बात नहीं है बल्कि बेशर्म होने पर मिलती है सफलता...

# पैसों से संबंधित कार्यों में शर्म करने से वित्तीय घाटा सहना पड़ता है। किसी व्यक्ति को उधार दिए रुपयों को वापिस मांगने पर हम शर्म अनुभव करते हैं। जिसके कारण हमें उधार दिया धन वापिस नहीं मिलता।

# भोजन करते समय शर्म करने वाला व्यक्ति भूखा रहता है। कई लोग अपने सगे-संबंधियों के यहां शर्म के कारण भर पेट भोजन नहीं करते और उन्हें भूखे रहना पड़ता हैं। 

# जो शिष्य गुरु से कोई प्रश्न पूछते समय शर्म करता है उसे ज्ञान की प्राप्ति नहीं हो पाती। उत्तम शिष्य शिक्षा प्राप्ति के समय शर्म नहीं करता। इसलिए गुरु से ज्ञान लेते समय शर्म न करें। 

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