कोरोना कहर के बीच एक तरफ जहां डेल्टा प्लस वेरिएंट को लेकर चिंताएं बढ़ रही हैं। वहीं दूसरी तरफ डेल्टा वेरिएंट को लेकर नई जानकारियां सामने आ रही हैं। नए अध्ययन से अब यह स्पष्ट हो रहा है कि डेल्टा वेरिएंट शुरुआती कोरोना वायरस से करीब 172 फीसदी ज्यादा संक्रामक है। इसी प्रकार डेल्टा प्लस में हुए म्यूटेशन से यह संक्रामकता और बढ़ने की आशंका जताई जा रही है।
डेल्टा प्लस पर अभी शोध जारी हैं लेकिन जो अनुमान लगाए जा रहे हैं, उनके अनुसार इसमें जो नया म्यूटेशन के417एन हुआ है, वह म्यूटेशन पहले दक्षिण अफ्रीका में मिले बीटा वेरिएंट में पाया गया था। माना जा रहा है कि यह म्यूटेशन मानव शरीर में उत्पन्न एंटीबॉडी के विरुद्ध प्रतिरोधक क्षमता प्राप्त कर सकता है। वैश्विक एजेंसी जीआईएसएआईडी ने अब तक हालांकि डेल्टा प्लस के 166 जीनोम सिक्वेंसिंग का अध्ययन किया है और यह दावा किया है कि इसके ज्यादा संक्रामक या भयावह होने का कोई तथ्य नहीं मिला है। लेकिन वैज्ञानिक समुदाय अभी इससे संतुष्ट नहीं है। शोधकर्ताओं के अनुसार नया म्यूटेशन के417एन इम्यून इस्केप एवं स्पाइक प्रोटीन के रिसीप्टर बाइंडिग डोमेन से जुड़ा है। जिसका मतलब है कि इससे संक्रमित होने का खतरा ज्यादा रहता है तथा यह एंटीबॉडी के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता पैदा कर सकता है।
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