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नई दिल्ली। बॉलीवुड का 70 से 80 का वो दौर जब हिंदी गानों की बहार हुआ करती थी। इसी के बीच जब मनोज कुमार की देशभक्ति से जुड़ी फिल्में आईं और उनके गानों ने लोगों को दिलों में देशक्ति की भावनाओं को भर दिया, उस दौर की फिल्मों से हट कर मनोज कुमार केवल देशभक्ति पर आधारित फिल्में की जिन्होंने पूरे देश के जनमानस पर अपनी अमिट छाप छोड़ी, लोग मनोज कुमार की फिल्मों से इतने प्रभावित हुए कि उन्हें मनोज कुमार की जगह भारत कुमर के नाम से पुकारने लगे।
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मनोज कुमार बॉलीवुड के ऐसे अभिनेता थे जिनकी फिल्में सुपरहिट हुआ करती थी। एक बार तो खुद मनोज कुमार की वजह से अमिताभ बच्चे का करियर बचा था। इसा बात से आप अंदाजा लगा सकते है कि उस दौरान उनका नाम बॉलीवुड में कितना चलता था। लेकिन एक समय ऐसा भी आया था जब लोग मनोज कुमार को जलील किया करते थे। जिसका खुलासा उन्होने राज्यसभा टीवी को दिए गए इंटरव्यू में करते हुए था उनका प्रारंभिक जीवन दिल्ली के रिफ्यूजी कैम्प में बीता, उन्होंने बचपन से ही उन्हें फिल्मों में काम करने का शौक था। लेकिन शौक को दिल में रखते हुए मनोज कुमार ने दिल्ली विश्व विद्यालय के हिंदू कॉलेज से अपनी पढ़ाई पूरी की।
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पढ़ाई करने के बाद मनोज कुमार अपने ख्वाब को पूरा करने के लिए कुछ कर पाते इससे पहले ही उनके छोटे भाई की मौत हो गई। इस घटना से उन्हे भारी सदमा लगा और वे अपना आपा भी खो बैठे थे, नतीजा यह हुआ कि उन्हे पुलिस की लाठियां भी खानी पड़ी। इन घटनाओं से उनके पिता काफी दुखी हुए और आगे कभी किसी से झगड़ा ना करने की उन्हें कसम दिलाई।
एक इंटरव्यू में मनोज कुमार ने बताया कि, आगे चल कर उन्हें एक फिल्म में लीड रोल का अवसर मिला, मानों उनके मन की मुराद पूरी हो गई, लेकिन फिल्म में काम करने से पहले उन्होंने एक शर्त रखी, शर्त यह थी कि वे फिल्म में तभी काम करेंगे जब उनकी मंगेतर शशि गोस्वामी इसके लिए अनुमति देंगी। और मंगेतर से अनुमति मिलने के बाद उन्होंने फिल्मों में काम शुरू किया और आगे चल कर मनोज कुमान ने अपनी मंगेतर से ही शादी की।
बॉलीवुड में उनके असाधारण योगदान के लिए मनोज कुमार को सन् 1992 में भारत सरकार ने पद्मश्री सम्मान से सम्मानित किया, इसके बाद बॉलीवुड के सबसे बड़े सम्मान दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड से सन 2005 में उन्हे नवाजा गया। आज भी देश में कहीं भी देशभक्ति गीत बजते हैं तो लोगों के जहन में मनोज कुमार का चेहरा सामने आ जाता है।
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