आचार्य चाणक्य कहते हैं कि ऐसी स्त्री जो धर्म के रास्ते पर चलती है उसके पति का जीवन सफल हो जाता है। जो स्त्री भगवान पर विश्वास रखती है उसके घर में सदैव खुशहाली बनी रहती है और घर में हमेशा भगवान का वास रहता है। ऐसे घर में कभी किसी प्रकार का संकट नहीं आ सकता है।
चाणक्य ने दूसरा गुण बताया है संतोष। चाणक्य कहते हैं कि जिस स्त्री में संतोष की भावना होती है और जिसकी इच्छाएं सीमित होती हैं। उसका दांपत्य जीवन सदैव खुशियों से भरा रहता है। ऐसी स्त्री का पति भाग्यशाली माना जाता है।
चाणक्य ने तीसरा गुण बताया है धैर्य। जो स्त्री हर परिस्थिति का सामना धैर्य से करती है उसका पति भी भाग्यशाली होता है। धैर्य सुखी जीवन का सबसे बड़ा कारक होता है। अगर धैर्य है तो हर परिस्थिति का सामना इंसान आसानी से कर सकता है।
चाणक्य नीति अनुसार जो स्त्री शांत स्वभाव की होती है और अधिक गुस्सा नहीं करती उसका पता भी भाग्यशाली होता है। क्योंकि क्रोध में इंसान की सोचने समझने की शक्ति खत्म हो जाती है और वह कुछ न कुछ ऐसा कर जाता है जिसका खामियाजा उसे बाद में भुगतना पड़ता है। इसलिए क्रोध को इंसान का सबसे बड़ा शत्रु माना जाता है।
चाणक्य नीति अनुसार जिस स्त्री की वाणी में मिठास होती है उसका पति किस्मत वाला होता है। ऐसी स्त्री अपने पति का जीवन स्वर्ग के समान बना देती है। ऐसी स्त्री अपने घर में सुख-शांति का माहौल बनाए रखती है।
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