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आयुर्वेद में शाम 4 बजे के बाद फल खाने की है मनाही, जानिए इसके पीछे की वजह!


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फल विटामिन और मिनरल का प्रमुख स्त्रोत है। डॉक्टर्स भी सेहतमंद रहने के लिए रोजाना फल खाने की सलाह देते हैं। इसके लिए एक कहावत बेहद पॉपुलर है-एन एप्पल ए डे, कीपस द डॉक्टर अवे'। आसान शब्दों में कहें तो रोजाना एक सेब खाने से बीमारियां दूर रहती हैं। वहीं, रोजाना दो ताजे फल खाने से आप हमेशा फिट और हेल्दी रह सकते हैं। साथ ही वजन भी कंट्रोल में रहता है। इसके अलावा, पुरानी बीमारियों का खतरा भी कम हो जाता है। आयुर्वेद की मानें तो रोजाना सुबह के समय फल खाने से दुगुना फायदा मिलता है। असमय फल खाने से सेहत पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। इसके लिए सूर्यास्त के बाद फल का सेवन नहीं करना चाहिए। आइए जानते हैं कि आयुर्वेद में 4 बजे के बाद फल खाने की क्यों मनाही है...


आयुर्वेद की मानें तो शाम में सूर्यास्त के बाद फल खाने से नींद में खलल पैदा होती है। साथ ही पाचन प्रक्रिया भी प्रभावित होती है। जैसा कि हम सब जानते हैं कि फल में सामान्य कार्बोहाइड्रेट्स होते हैं। ये कार्ब्स आसानी से चीनी में परावर्तित हो जाते हैं। इससे शरीर को इंस्टेंट ऊर्जा मिलती है। हालांकि, फल के सेवन से रक्त में शर्करा शुगर स्तर बढ़ने लगता है। इस वजह से रात की नींद गायब हो जाती है। इसके अलावा, सूर्यास्त के बाद मेटाबॉलिज़्म दर भी स्लो यानी धीमा हो जाता है, जिससे कार्ब्स को पचाने में कठिनाई होती है। इसके लिए सूर्यास्त से पहले फल का सेवन करना उचित होता है।


आयुर्वेद के अनुसार, सुबह के समय खाली पेट फल खाना ज्यादा फायदेमंद होता है। रात में तकरीबन दस घंटे के आराम के बाद पेट खाली रहता है। सुबह के समय खाली पेट फल खाने से शरीर को तत्काल उर्जा मिलने के साथ ही मेटाबॉलिज़्म भी बूस्ट होता है। वहीं, लंच के आधे घंटे बाद फल का सेवन जरूर करना चाहिए। फल को कभी सब्जी और दूध के साथ सेवन नहीं करना चाहिए। अगर डेयरी उत्पादों और सब्जियों के साथ फल का सेवन करते हैं, तो इससे सेहत पर बुरा असर पड़ सकता है।


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